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ईशान में पूजा-स्थल बनाना हानिकारक

प्रशन: हम इस प्लैट में आर्थिक, गृह-कलह, प्रथम पुत्र की बेरोजगारी इत्यादी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। एक वास्तु-पंडित ने इस प्लैट की वास्तु को सही बताते हुए, हमारी समस्याओं के निवारण तथा जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिये, ईशान की बालकोनी में पूजा-स्थल बनाने की सलाह दी थी, लेकिन आपके द्वारा इस स्तम्भ में दी गयी जानकारी के अनुसार ईशान में पूजा-स्थल बनाना उचित नहीं है। हमारी समस्याओं से समाधान प्राप्त करने के लिये आपका सुझाव अपेक्षित है।

उत्तर: ईशान में पूजा-स्थल के लिये बनाया गया चबूतरा एवं इष्टदेव की मूर्तियाँ रखने से ईशान दिशा का वज़नदार होना तथा पूजा के लिये नित्य द्वीप प्रज्ज्वलित करने से ईशान में अग्नि का प्रवेश होने के कारण ही ईशान में पूजा-स्थल बनाना, लाभदायक होने की अपेक्षा हानिकारक ही होता है।

पूजा करना आपकी धार्मिक भावना एवं आस्था का प्रतीक तथा आपके अराध्य देवता की मूर्ति या तस्वीर आपके ध्यान लगाने का माध्यम होती है। धार्मिक आस्था व्यक्त करना आपकी व्यक्तिगत रुचि है, लेकिन पूजा करके जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने की बातें सोचना, स्वयं को सिर्फ दिग्भ्रमित करना मात्र है, क्योंकि पूजा-पाठ इत्यादी उपायों से मकान के वास्तु-दोषों का शमन या फिर मकान के वास्तु-बल को बढ़ाना नामुमकिन है। अत आपके जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने के सपने को साकार रूप में परिवर्तित करने के लिये बेहतर होगा कि इस प्लैट के वास्तु-दोषों को सुधारने का प्रयत्न करे।

वायव्य अथवा बैठक के कमरे के पश्चिम-वायव्य में पूजा-स्थल बनाना ज्यादा उत्तम होता है, क्योंकि इस दिशा में पूजा करते समय मानव मस्तिष्क में उपजने वाले विचारों को शीघ्र कार्यान्वित होने की संभावना बढ़ती है। लेकिन और कोई विकल्प नहीं होने की स्थिति में ईशान की बालकोनी में पूर्व या पश्चिम-मुखी बैठकर, अपने आराध्य देव की सिर्फ तस्वीर रखकर पूजा कर सकते हैं। इससे ईशान में पूजा करने वालों को सुबह के समय प्राप्त होने वाली सूर्य-रश्मियों के स्वास्थ्यदायक परिणाम प्राप्त होंगे। लेकिन यह भी ध्यान में रखे कि ईशान में द्वीप प्रज्ज्वलित करने से होने वाले नुकसान से बचने के लिये, दीप जलाने की अपेक्षा अगरबत्ती या धूप-बत्ती का उपयोग करना अति उत्तम होगा।

इस प्लैट के वास्तु-दोषों के दुष्परिणाम आपके जीवन को समस्याग्रस्त स्थिति में परिवर्तित करने में अहम भूमिका निभा रहे है। आपकी समस्याओं के होने वाले कारण इस प्लैट में व्याप्त वास्तु-दोष और संभावित अपेक्षित फेरबदल:-

  • प्लैट का पूर्वी हिस्सा बढ़ा हुआ होने के कारण प्लैट की पूर्व-ईशान दिशा कट जाने के कारण, अन्य कई समस्याएँ पैदा होने के साथ इस घातक वास्तु-दोष के दुष्परिणाम वंश-वृद्धि में रुकावट तथा प्रथम पुत्र के जीवन को प्रभावित करते हैं। ईशान के कमरे तथा रसोई-घर के पूर्व की दीवार के समरूप, नक्शे में निर्देशानुसार, हाल के पूर्व में नयी दीवार बनाये तथा हाल के अलग किये गये, बढ़े हुए पूर्वी हिस्से को तोड़कर हटाये। इससे पूर्व-ईशान कट जाने के घातक वास्तु-दोषों के दुष्परिणामों से निवृत्ति मिलेगी।
  • पूर्व-ईशान में स्थित शौचालय निरंतर समस्याओं को आमंत्रित करता है, अत: इस स्नानघर/शौचालय को तोड़कर, इस हिस्से को हाल के साथ मिलाये।
  • मुख्य शयन-कक्ष के पूर्व-आग्नेय में अटैच स्नानघर/शौचालय के कारण इस शयन-कक्ष की पूर्व-ईशान दिशा कट गयी है, जिसके दुष्परिणाम इस शयन-कक्ष के उपयोगकर्ता के जीवन को प्रभावित करते हैं। इस स्नानघर/शौचालय के पश्चिम-वायव्य में स्थित दरवाजे को, इसी स्नानघर/शौचालय के उत्तर में स्थानान्तरित करे।
  • मुख्य शयन-कक्ष के दक्षिण-पश्चिम के हिस्से में फर्श की ऊँचाई बढ़ाकर नया स्नानघर/शौचालय बनाये।
  • ईशान के कमरे के उत्तर-वायव्य एवं दक्षिण-नैत्र+त में स्थित दरवाजों को, इसी कमरे के उत्तर-ईशान एवं दक्षिण-आग्नेय में आमने-सामने स्थानान्तरित करे।
  • वायव्य के कमरे के पूर्व-ईशान में एक नया दरवाजा या खिड़की लगाये।
  • प्रत्येक कमरे के पूर्व-उत्तर में खाली जगह तथा दक्षिण-पश्चिम में वज़नदार सामान रखें।

इस प्लैट में व्याप्त वास्तु-दोषों को उपरोक्त दिये गये निर्देशानुसार फेरबदल करवाकर आप जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने के स्वप्न को साकार कर सकते हैं।