T.R. Bhandari's
वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India
Vaastu Matter in English
Vaastu Matter in Hindi
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वास्तु विषय की दिशाएँ
वास्तु विषय की अष्ट दिशाओं के हिस्सों का स्तर उच्च और निम्न होने से मिलने वाले पृथक परिणाम :-
दिशा |
उच्च और वजनदार |
निम्न और हल्की |
पूर्व |
अपयश, कन्या संतान की उत्पत्ति, संतानहानी |
यश, कीर्ति, ऐश्वर्य, वंशवृद्धि |
पश्चिम |
मान-सम्मान एवं कीर्ति में वृद्धि, कार्य में सफलता |
अपयश, मानहानी |
उत्तर |
आर्थिक पतन |
आर्थिक उन्नतिदायक |
दक्षिण |
आर्थिक प्रगति, समृद्धि |
बीमारी, गृहणी का पतन, आर्थिक परेशानी |
ईशान |
आर्थिक, सुख-समृद्धि में पतिकूल, न्यूनतम जीवन स्तर, दरिद्रता |
आर्थिक सुख, समृद्धि में उन्नति, वंश स्थायित्व |
आग्नेय |
वायव्य से ऊँचा शुभ एवं स्वास्थ्यदायक, नैऋत से ऊँचा अशुभ |
वायव्य से निम्न कष्टदायक, अग्नि भय, शत्रु पीड़ा, अनर्थकारी, नैऋत से निम्न उत्तम |
वायव्य |
ईशान से ऊँचा उत्तम, मुकदमों में विजय, मित्रवृद्धि, आग्नेय से ऊँचा अशुभ |
ईशान से निम्न कष्टदायक ,शत्रु पीड़ा, वाद-विवाद, आग्नेय से निम्न उत्तम |
नैऋत |
आर्थिक वृद्धि, उत्तम जीवन स्तर, स्थायित्व |
आर्थिक अवन्नति, धनहानी, न्यूनतम जीवन स्तर, बुरे व्यसन की पवृत्ति, मृत्युतुल्य जीवन |
ब्रह्मस्थल |
मानसिक चिंता व कष्ट |
मानसिक विक्षिप्तता |
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