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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

पुस्तकीय-ज्ञान और व्यावहारिक-ज्ञान में अंतर

प्रश>> : वास्तु की पुस्तकों का गहन अध्ययन करने के बाद मैंने यह मकान बनवाया था। इस मकान में प्रवेश करने के बाद आर्थिक संकट, हम पति-पत्नी के आपस में अनबन, पिताजी की बीमारी, पुत्री के विवाह में विलंब, मानसिक अशांति इत्यादि समस्याएं पैदा हो रही है। मेरा मकान वास्तु के अनुसार बना हुआ होने के बावजूद भी हमारी समस्याओं के क्या कारण हो सकते है? कृपया स्पष्ट जानकारी और समाधान बताएं।

उत्तर: इस प्लाट के पूर्व तथा उत्तर में सीधी सडक होने के कारण, इस प्लाट के पूर्व-ईशान तथा उत्तर-ईशान पर मार्ग-प्रहार हो रहा है, जिसके कारण यह प्लाट अत्यंत सौभाग्यशाली साबित होता है। वास्तु विषय के अनुसार यह प्लाट उत्तम श्रेणी का स्थान माना गया है। उत्तम स्थान मिलने के बावजूद भी वास्तु विषय के प्रति आपकी नासमझी के कारण, मकान का निर्माण वास्तु के सिद्धान्तों के विपरीत करने के कारण, आप इससे मिलने वाले फायदों से वंचित रह गये और स्वयं को समस्याओं में उलझाकर रह गये।

केवल कुछ पुस्तकों को छोड़कर वास्तु विषय पर उपलब्ध लगभग सभी पुस्तकों में एक ही तरह के सिद्धान्त लिखे रहते हैं। इन पुस्तकों में स्वयं के अनुसंधान का समावेश नहीं होता है, बल्कि शास्त्रों में वर्णित बातों को अपनी भाषा में पिरो दी जाती है, या फिर अन्य पुस्तकों की नकल ही होती है। प्रत्येक इंसान के लिए इन पुस्तकों में दिए गए वास्तु के सिद्धान्तों के बारे में अनुसंधान करना या सही-गलत का फैसला कर पाना संभव नहीं होता है। पुस्तकें हमारे लिए ज्ञानवर्धक हो सकती है, लेकिन पुस्तकीय ज्ञान और व्यवहारिकता में बहुत अंतर होता है। आपकी समस्याओं के होने वाले कारण, इस मकान में व्याप्त वास्तु दोष :-

क्र् वास्तु विषय में चारों दिशाओं से ज्यादा, दो दिशाओं के मिलने वाले संधि-स्थल, यानि चारों कोनों का महत्व अधिक होता है। ईशान कोने में कर्ण रेखा के ऊपर भूमिगत पानी का टैंक बनाने से आर्थिक उन्नति की अपेक्षा आर्थिक पतन होता है।

  • वायव्य कोने में सेप्टिक टैंक बनाने से मकान में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में वृद्धि होती है।
  • मकान के उत्तर में सीढ़ियां बनाने के कारण गृह-कलह होने के साथ ही आर्थिक संकट विकराल रुप से प्रभावित करता है।
  • चारदीवारी के उत्तर-वायव्य, हाल के पूर्व-आग्नेय एवं उत्तर-वायव्य तथा वायव्य के कमरे के पूर्व-आग्नेय में स्थित दरवाजे, मकान में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में वृद्धि कर रहे हैं।
  • दक्षिण दिशा स्थायित्व प्रदान करती है। आपकी पुत्री का शयन कक्ष दक्षिण के कमरे में होने के कारण ही उसकी घर से विदाई होने में विलंब हो रहा है।

आपकी समस्याओं से समाधान प्राप्त करने के लिए अपेक्षित फेरबदल :-

  • ईशान कोने पर स्थित भूमिगत पानी के टैंक को मिट्टी से भरकर बंद करके, ईशान में कर्ण-रेखा को छोड़कर, चारदीवारी तथा कर्ण-रेखा के नजदीक, पूर्व-ईशान एवं उत्तर-ईशान में एक-एक नये भूमिगत पानी के टैंक बनायें।
  • वायव्य कोने पर स्थित सेप्टिक टैंक को मिट्टी से भरकर बंद करके, वायव्य कोने से थोडी जगह छोड़कर, उत्तर- वायव्य में नया सेप्टिक टैंक इस तरह से बनाये कि यह नव-निर्मित सेप्टिक टैंक वायव्य के कमरे के उत्तर-वायव्य के हिस्से तक ही आये।
  • मकान के उत्तर में स्थित सीढियें को तोडकर, खुले स्थान में, मकान के पश्चिम-नैऋत में नयी सीढियां बनाने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है।
  • चारदीवारी के उत्तर-वायव्य, हाल के पूर्व-आग्नेय एवं उत्तर-वायव्य तथा वायव्य के कमरे के पूर्व-आग्नेय में स्थित दरवाजों को, चारदीवारी के उत्तर-ईशान, हाल के पूर्व-ईशान एवं उत्तर-ईशान तथा वायव्य के कमरे के पूर्व-ईशान में इस तरह से स्थानान्तरित करे कि आमने-सामने दो से ज्यादा दरवाजे नहीं आये।
  • दक्षिण के कमरे को आपके पिताजी का शयन कक्ष बनायें।
  • वायव्य के कमरे को आपकी पुत्री का शयन कक्ष बनायें, ताकि शीघ्र ही उसका विवाह संपन्न होकर घर से विदाई संभव हो जाएगी।

उपरोक्त फेरबदल आपकी समस्याओं का समाधान तथा जीवन को खुशहाल व समृद्धिदायक स्थिति में परिवर्तन करने में शत-प्रतिशत सक्षम होंगे। इस शुभ परिवर्तित परिवर्तन से आपको यह अहसास हो जाएगा कि पुस्तकीय ज्ञान और अनुभव से अर्जित व्यावहारिक ज्ञान में कितना अंतर होता है।