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क्या पिरामिड करेंगे मदद??

प्रश>>: मैं इस प्लाट पर नये मकान का निर्माण शुरू करवाना चाहता हूँ। हमारे वास्तु पंडित ने इस प्लाट के पूर्व-उत्तर कोने से दक्षिण-आग्नेय तक नक्शे में निर्देशित लाइन में, जमीन के अंदर धातु (मेटल) के पिरामिड लगवाये हैं और कहा है कि यह पिरामिड लगवाने के बाद ईशान कट जाने के वास्तु-दोष समाप्त हो जायेंगे तथा हमें इस प्लाट के बढ़े हुए पूर्व-आग्नेय का हिस्सा व्यर्थ में छोड़ना नहीं पड़ेगा। मैं यह जानने का इच्छुक हूँ कि जमीन के अंदर पिरामिड लगवाने से क्या फायदे हो सकते है? पिरामिड लगवाने के बाद हमें ईशान कट जाने के वास्तु-दोष के दुष्परिणामों से निवृत्ति मिलेगी या नहीं? अगर नहीं, तो इसके क्या दुष्परिणाम होंगे? कृपया मेरे संदेह का निवारण करे।

उत्तर: सबसे पहले आपको यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि मकान में वास्तु-दोष पैदा कैसे होते है? मकान के आसपास के वातावरण में व्याप्त भूगर्भीय-ऊर्जा, चुम्बकीय-शक्ति, गुरुत्वाकर्षण-बल, सूर्य-रश्मियाँ, प्राकृतिक-ऊर्जा, सौरमंडल की ऊर्जा इत्यादि से, वास्तु की दिशाओं के माध्यम से तथा पंच-तत्वों के उचित संतुलन के आधार पर मकान में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। रही बात जमीन के अंदर पिरामिड लगाकर, वास्तु-दोषों के कारण पैदा होने वाली नकारात्मक ऊर्जा को निष्क्रिय या सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करने की? यह कैसे संभव है?

वास्तु शास्त्र के आधारित किसी भी ग्रंथ में वास्तु-दोषों के निवारण के लिए पिरामिड के उपयोग का उल्लेख नहीं किया गया है। वास्तु दोषें के निवारण के नाम पर इस तरह के उपाय बताना, आम-इंसान को वास्तु विषय के प्रति सिर्फ भ्रमित करना मात्र है, क्योकि इस तरह के उपायो से मकान के वास्तु दोषों के दुष्परिणामों से निवृत्ति प्राप्त करना नामुमकिन है।

“वास्तु और पिरामिड“ दोनों अलग-अलग विषय है और दोनों विषयों का अलग-अलग महत्व और उपयोगिता है। पिरामिड का उपयोग फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि पिरामिड के उचित आकार के आधार पर किसी वस्तु को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, लेकिन वास्तु-दोषों के निवारण के नाम पर पिरामिड का उपयोग निष्क्रिय ही साबित होगा।

पूर्व-ईशान दिशा के शुभ एवं अशुभ परिणाम गृह-मालिक तथा उसके प्रथम पुत्र के जीवन को प्रभावित करते हैं। इस प्लाट की पूर्व-ईशान दिशा लुप्त हो गई है, जिसके कारण पैदा होने वाले वास्तु-दोषों के दुष्परिणाम धन-हानि, मान-हानि एवं वंश-वृद्धि में रुकावट का स्पष्ट संकेत देते हैं, तथा प्रथम पुत्र का जीवन मृत्यु-तुल्य व्यतीत होने में अहम भूमिका निभाते है।

इस प्लाट पर नव-निर्मित मकान में प्रवेश करने के बाद भविष्य में किसी दु:खद घटना का सामना करना पडे, इससे पहले ही उसके निवारण के लिए संभावित फेरबदल करवाना ही बुद्धिमता है।

आप इस प्लाट के बढे हुऐ पूर्व-आग्नेय का हिस्सा व्यर्थ में नहीं छोड़ने के लालच से बचे। इस प्लाट के पूर्व-उत्तर कोने को 90 डिग्री से थोडा कम रखते हुए प्लाट के पूर्व में नई चारदीवारी बनायें। इससे बढ़े हुए पूर्व-आग्नेय का हिस्सा इस प्लाट से अलग हो जाएगा और पूर्व-ईशान बढ़ जाएगा, जो अत्यंत सौभाग्य दायक व उन्नतिशील साबित होगा। अलग किए गए पूर्व-आग्नेय के हिस्से को आप चाहे तो पूर्व में स्थित पड़ोसी को बेच दें, अन्यथा खुला छोड दें।