प्रशन: मेरे पिताजी हृदयघात से पीड़ित है तथा माताजी बीमार रहती है। मेरे व्यापार में नुकसान, पुत्र के विवाह में विलंब, परिवार के सदस्यों के आपस में विरोधाभास तथा बच्चे पढ़ाई में कमजोर रहते हैं। कृपया मेरी समस्याओं के कारण और समाधान बताये।
उत्तर: आपकी समस्याओं के होने वाले कारण, इस मकान में व्याप्त वास्तु दोष एवं इन वास्तु-दोषों के दुष्परिणाम:-
ईशान में कर्ण-रेखा को छोड़कर बनाये गये भूमिगत पानी के स्रोत आर्थिक उन्नति एवं समृद्धि दायक होते हैं, लेकिन मकान में व्याप्त अन्य वास्तु-दोषों के दुष्परिणाम आर्थिक उन्नति में रुकावट पैदा कर रहे हैं।
नैत्र+त कोने में स्थित बोरवेल धन-हानि, प्रथम पुत्र के विवाह में विलंब तथा गृह मालिक का जीवन मृत्यु-तुल्य व्यतीत होने में अहम भूमिका निभाता है।
दक्षिण में स्थित सेप्टिक टैंक के कारण गृहिणी का जीवन अत्यंत कष्टप्रद एवं व्याधियों का शिकार होता है तथा आर्थिक संकट पैदा करने के साथ, इस सेप्टिक टैंक का आपके पुत्र के शयन-कक्ष के आग्नेय में आने के कारण उसके जीवन में विषम परिस्थितियाँ पैदा होती है।
आग्नेय के कमरे में आपके पिताजी का शयन-कक्ष होना तथा मकान के पूर्व-आग्नेय में स्थित सीढ़ियों का आग्नेय के कमरे के पूर्व-ईशान में आ जाना एवं मकान के नैत्र+त कोने में स्थित बोरवेल ही उनके हृदयघात की बीमारी का मुख्य कारण है।
नैत्र+त के कमरे में बच्चों का शयन-कक्ष होने के कारण उनके विकास में न्यूनता आती है।
ईशान के कमरे में रसोई-घर होना तथा रसोई-घर के वायव्य कोने में रखे गये गैस के चूल्हे का मकान के उत्तर-ईशान के हिस्से में आना, आर्थिक स्थिति के लिये प्रतिकूल होने के साथ परिवार के सदस्यों के आपस में व्यर्थ के वाद-विवाद पैदा करता है।
उत्तर के कमरे के पश्चिम में स्थित शौचालय का बैठक के कमरे के पूर्व-ईशान में आना, इस कमरे के उपयोगकर्ता के लिये प्रतिकुल परिणाम दायक।
ईशान एवं बैठक के कमरे के पश्चिम-नैत्र+त तथा उत्तर के कमरे के दक्षिण-नैत्र+त में स्थित दरवाजे, मकान में प्रवाहित होने वाली सकारात्मक ऊर्जा को नकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
उपरोक्त वास्तु-दोषों के दुष्परिणामों से निवृत्ति प्राप्त करने के लिये अपेक्षित फेरबदल:-
नैत्र+त कोने में स्थित बोरवेल को मिट्टी से भरकर बंद करे।
दक्षिण में स्थित सेप्टिक टैंक को मिट्टी से भरकर बंद करके, वायव्य कोने से थोड़ी जगह छोड़कर, उत्तर-वायव्य में नया सेप्टिक टैंक बनाये।
पूर्व-उत्तर के कमरे में स्थित रसोई-घर को आग्नेय के कमरे में स्थानान्तरित करे तथा आग्नेय के कमरे के आग्नेय कोने में गैस का चूल्हा पूर्वाभीमुखी रखे।
उत्तर के कमरे के पश्चिम में स्थित स्नानघर/शौचालय को तोड़कर, नैत्र+त के कमरे के दक्षिण-नैत्र+त के हिस्से में फर्श की ऊँचाई बढ़ाकर नया स्नानघर/शौचालय बनाये।
मकान के पूर्व-आग्नेय के हिस्से में स्थित सीढ़ियों को तोड़कर, मकान के पश्चिम-नैत्र+त के हिस्से में नयी सीढ़ियाँ बनाने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है।
उत्तर के कमरे के दक्षिण-नैत्र+त तथा बैठक के कमरे के उत्तर-ईशान एवं पश्चिम-नैत्र+त में स्थित दरवाजों को, उत्तर के कमरे के उत्तर-ईशान एवं दक्षिण-आग्नेय तथा बैठक के कमरे के पश्चिम-वायव्य में स्थानान्तरित करे।
ईशान के कमरे के पूर्व-ईशान तथा आग्नेय के कमरे के दक्षिण में एक-एक नये दरवाजे लगाये।
नैत्र+त के कमरे को मुख्य शयन-कक्ष, दक्षिण-नैत्र+त के कमरे को आपके पिताजी के लिये, उत्तर के कमरे को आपके पुत्र के लिये तथा ईशान के कमरे को बच्चों के शयन-कक्ष के लिये उपयोग करे।
उपरोक्त फेरबदल आपकी समस्याओं का शत-प्रतिशत समाधान करने तथा आपके जीवन को खुशहाल एवं समृद्धिदायक स्थिति में परिवर्तित करने में सक्षम होंगे। आवश्यक्ता है तो सिर्फ आपके तुंत निर्णय लेकर, उस पर शीघ्र अमल करने की। निर्णय लेना आपके हाथ में है।