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भूत-प्रेत - दूषित वायु का प्रवेश और आवेश

प्रशन: दो वर्ष पहले मैंने इस मकान का निर्माण करवाया था। इस मकान में रहना शुरू करने के बाद मेरे बहुत ज्यादा रुपये उधारी में फँस गये हैं। मेरा इकलौता पुत्र, जो पहले स्वस्थ था, लेकिन इस मकान में आने के बाद वह मानसिक रूप से अशांत रहने लगा हैं। कई जगह इलाज करवाने पर भी दवाई का असर नहीं हुआ। एक तांत्रिक ने मेरे पुत्र पर भूत-प्रेत का साया बताकर, मेरे पुत्र को पहनने के लिए एक ताबीज तथा आर्थिक बंधन-मुक्ति के लिये पूजा करके एक यंत्र तथा दिया था। यह सब करने के बावजूद भी ना तो मेरे पुत्र के स्वास्थ्य में कोई सुधार हुआ और ना ही उधारी में फँसे हुए मेरे रुपये वापस प्राप्त हुए। कृपया मेरे पुत्र के स्वास्थ्य तथा मेरी आर्थिक समस्या का समाधान बताये।

उत्तर: किसी भी सलाह को अपनाने से पहले उस सलाह के उचित-अनुचित के बारे में निर्णय लेने से पहले आपको स्वयं चिंतन करना चाहिए कि उस सलाह का आधार और महत्व क्या है? ना कि आँखें बंद कर सलाह पर विश्वास कर लेना। इस तरह की सलाह का नतीजा क्या निकला? जो कि आप स्वयं एक भुक्तभोगी बनकर यह परख चुके हैं।

इस मकान का पूर्व एवं पूर्व-ईशान कटा हुआ होना, पूर्व-ईशान में स्थित सेप्टिक टैंक, उत्तर-वायव्य में स्थित भूमिगत पानी का टैंक, मकान के ईशान कोने में स्थित शौचालय, नैत्र+त में स्थित तहखाना, मकान के उत्तर-वायव्य से दक्षिण-नैत्र+त तक एक कतार में नीच स्थान पर स्थित चारों दरवाजे, आग्नेय के कमरे में स्थित मुख्य शयन-कक्ष, बैठक के कमरे के दक्षिण-नैत्र+त एवं उत्तर-वायव्य तथा आग्नेय के कमरे के उत्तर-वायव्य में स्थित दरवाजे इत्यादि वास्तु-दोषों के दुष्परिणामों के कारण ही यह समस्याएँ उत्पन्न हो रही है।

भूत-प्रेत इत्यादि बाधा को वास्तु विषय की भाषा में दूषित वायु का प्रवेश और आवेश कहा जाता है। पूर्व-ईशान दिशा वंश-वृद्धि तथा प्रथम पुत्र के जीवन को प्रभावित करती है तथा ईशान में शौचालय होने के कारण मकान में दूषित वातावरण पैदा होता है।

पूर्व-ईशान में सेप्टिक टैंक, उत्तर-वायव्य में भूमिगत पानी का टैंक, मकान के ईशान कोने में शौचालय, नैत्र+त में तहखाना तथा उत्तर-वायव्य से दक्षिण-नैत्र+त तक नीच स्थान पर दरवाजों की कतार इत्यादि, वास्तु-दोषों के दुष्परिणामों के कारण मकान में दूषित वायु का प्रवेश और आवेश होता है और मकान का पूर्व-ईशान कटा हुआ होने के दुष्परिणामस्वरूप आपका इस पुत्र दूषित वायु के लपेट में आ गया है। इसके अतिरिक्त उपरोक्त वास्तु-दोषों के कारण ही आपके उधार दिये गये रुपयों की वसूली होने में रुकावट पैदा हो रही है। आपकी समस्याओं से स्थायी तौर पर समाधान प्राप्त करने के लिये अपेक्षित फेरबदल:-

  • आग्नेय के कमरे में, मकान के बढ़े हुए पूर्व-आग्नेय के हिस्से में, मकान के पूर्व की दीवार के समरूप, नक्शे में निर्देशानुसार एक नयी दीवार बनाये तथा अलग किये गये बढ़े हुए पूर्व-आग्नेय के हिस्से को तोड़कर हटाये।
  • पूर्व-ईशान में स्थित सेप्टिक टैंक को साफ करवाकर मिट्टी से भरकर बंद करे तथा उत्तर-वायव्य में स्थित भूमिगत पानी के टैंक को, सेप्टिक टैंक में परिवर्तित करे।
  • ईशान में कर्ण-रेखा को छोड़कर, चारदीवारी तथा कर्ण-रेखा के नजदीक, पूर्व-ईशान तथा उत्तर-ईशान में एक-एक नये भूमिगत पानी के टैंक बनाये।
  • मकान के ईशान कोने में स्थित शौचालय एवं पूर्व-ईशान में स्थित स्नानघर को तोड़कर, इसी कमरे के एक-चौथाई पश्चिम के हिस्से में नया स्नानघर एवं शौचालय बनाये।
  • नैत्र+त में स्थित तहखाने को मिट्टी से भरकर बंद करे।
  • वायव्य एवं आग्नेय के कमरे के उत्तर-वायव्य और बैठक तथा पश्चिम में स्थित शयन-कक्ष के उत्तर-वायव्य एवं दक्षिण-नैत्र+त में स्थित दरवाजों को, पूर्व-उत्तर के कमरे के उत्तर-ईशान, आग्नेय के कमरे के उत्तर और बैठक तथा पश्चिम में स्थित शयन-कक्ष के उत्तर-ईशान एवं दक्षिण-आग्नेय में इस तरह से स्थानान्तरित करे कि आमने-सामने दो से ज्यादा दरवाजे नहीं आये।
  • पूर्व-उत्तर के कमरे के पूर्व-ईशान में एक नया दरवाजा लगाये।
  • आग्नेय के कमरे को रसोई-घर तथा नैत्र+त के कमरे को मुख्य शयन-कक्ष के लिये उपयोग करे।

उपरोक्त फेरबदल करवाने के बाद मात्र कुछ ही दिनों में आपको वास्तु-विषय की उपयोगिता के महत्व का अहसास हो जायेगा। यकीनन आपकी आर्थिक समस्या का निवारण होने के साथ, धीरे-धीरे आपके पुत्र के स्वास्थ्य में सुधार होना शुरू हो जायेगा और आपका पुत्र हँसता-खेलता नजर आयेगा।