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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

अनुभवहीन मार्गदर्शक का प्रतिफल

प्रशन: एक वास्तु पंडित से सलाह लेकर ही मैंने यह प्लैट खरीदा था। इस प्लैट में प्रवेश करने के बाद से ही मैं शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा परेशान हो गया हूँ तथा आत्महत्या करने का मन करता है। कृपया मेरी समस्याओं के कारण और निवारण बताये।

उत्तर: आत्महत्या करना किसी समस्या के समाधान का हिस्सा नहीं बल्कि कायरता की निशानी है। आत्महत्या के विचार त्याग कर इस अमूल्य जीवन को जीने की कला सीखें और वास्तु-विषय आपके समस्याग्रस्त जीवन को अति-शीघ्र खुशहाल एवं समृद्धिदायक स्थिति में परिवर्तित करने में पूर्ण रूप से सक्षम है।

इस प्लैट को खरीदते समय अगर आपने अनुभवी वास्तु-विशेषज्ञ का मार्गदर्शन लिया होता तो आपको जीवन में विषम परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ता। आपकी आर्थिक एवं मानसिक स्थिति को देखते हुए इस प्लैट की उत्तर दिशा 10-15 डिग्री या इससे ज्यादा झुकी हुई (माइनस) प्रतीत हो रही है, जिसके कारण इस प्लैट के कटे हुए उत्तर-ईशान का हिस्सा पूर्व-ईशान में, तथा दक्षिण में स्थित खुला स्थान दक्षिण-नैत्र+त में परिवर्तित हो गया है।

प्लैट के उत्तर-वायव्य का हिस्सा बढ़ा हुआ होने के कारण प्लैट की उत्तर व उत्तर-ईशान दिशा का कट जाना, उत्तर-ईशान में स्थित शौचालय, उत्तर में अन्य प्लैट तथा दक्षिण में खुला स्थान होना, मुख्य शयन-कक्ष के उत्तर-वायव्य में स्थित पैसेज के कारण इस शयन-कक्ष के उत्तर-वायव्य में आने वाली विधी-शुला, मुख्य शयन-कक्ष के पूर्व-आग्नेय में स्थित अटैच स नानघर/शौचालय के कारण इस शयन-कक्ष का पूर्व-ईशान कट जाना, ईशान एवं नैत्र+त के कमरों के उत्तर में तथा दक्षिण के कमरे के पूर्व में स्थित वार्ड-रोब, प्लैट के उत्तर-वायव्य तथा ईशान के कमरे के पश्चिम-नैत्र+त में स्थित दरवाजे, दक्षिण के कमरे के पूर्व-आग्नेय में स्थित खिड़की, प्लैट के दक्षिण-नैत्र+त में स्थित बालकोनी इत्यादि, वास्तु-दोषों के दुष्परिणाम ही आपके जीवन को समस्याग्रस्त स्थिति में परिवर्तित करने में अहम भूमिका निभा रहे है। उपरोक्त वास्तु-दोषों से निवृत्ति तथा आपके समस्याग्रस्त जीवन में राहत पहुँचाने के लिये इस प्लैट में संभावित अपेक्षित फेरबदल:-

  • उत्तर-ईशान में स्थित स्नानघर/शौचालय को तोड़कर हटाये।
  • मुख्य शयन-कक्ष के पूर्व-आग्नेय में अटैच स्नानघर/शौचालय के पश्चिम-वायव्य में स्थित दरवाजे को, इसी स्नानघर/शौचालय के उत्तर में स्थानान्तरित करे।
  • दक्षिण-नैत्र+त में स्थित बालकोनी के दो-तिहाई पश्चिम के हिस्से के फर्श की ऊँचाई बढ़ाकर नया स्नानघर/शौचालय बनाये।
  • ईशान एवं नैत्र+त के कमरों के उत्तर-ईशान तथा दक्षिण के कमरे के पूर्व में स्थित वार्ड-रोब को तोड़कर हटाये और ईशान के कमरे को छोड़कर, आवश्यक्तानुसार कमरों के दक्षिण या पश्चिम में वार्ड-रोब बनाये।
  • दक्षिण के कमरे के पूर्व-आग्नेय में स्थित खिड़की को, इसी कमरे के दक्षिण-आग्नेय में स्थानान्तरित करे।
  • ईशान के कमरे के पश्चिम-नैत्र+त में स्थित दरवाजे को, इसी कमरे के पश्चिम-वायव्य में स्थानान्तरित करे।
  • विवाहित पुत्र के लिये दक्षिण तथा बच्चों के अध्ययन एवं शयन-कक्ष के लिये ईशान के कमरे को उपयोग करे।
  • ईशान के कमरे के पूर्व-ईशान एवं उत्तर-ईशान तथा हाल के उत्तर-ईशान में एक-एक नयी खिड़कियाँ लगाये।
  • प्रत्येक कमरे के पूर्व-उत्तर में खाली जगह तथा दक्षिण-पश्चिम में वजनदार सामान रखे।

उपरोक्त वास्तु-परिवर्तन आपके समग्रस्त जीवन को समस्यारहित, खुशहाल एवं समृद्धिदायक स्थिति में परिवर्तित करने में निसंदेह सक्षम होंगे, लेकिन यह फेरबदल नहीं करवाने की स्थिति में, इस प्लैट को छोड़कर वास्तु के अनुसार निर्मित मकान में स्थानान्तरित होने के अतिरिक्त और कोई भी विकल्प आपकी समस्याओं से स्थाई तौर पर समाधान प्राप्त करने में नागण्य ही साबित होंगे। अत सोच-समझकर ही उचित निर्णय लेना आपके लिये हितकर होगा।