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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

ज्योतिष और हस्त-रेखा से अलग है वास्तु

प्रशन: मेरे स्वयं के वास्तु मार्गदर्शन में निर्मित इस मकान में मैं पिछले तीन वर्ष से रह रहा हूँ और तब से ही मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इस मकान में प्रवेश करने के बाद मेरी नौकरी छूट गयी और स्वयं का व्यापार शुरू किया, जिसमें नुकसान हो रहा है। परिवार के सदस्यों के आपस में वाद-विवाद होता रहता है। मुझे ज्योतिष व हस्त-रेखा का ज्ञान है और वाक-शुद्धि भी है। अत मैं जो कह देता हूँ वह फलित होता है। पहले इस मकान के ईशान कोने में भूमिगत पानी का टैंक बनवाया था, जिसे कुछ महीने पहले मिट्टी से भरकर बंद करके, उत्तर-ईशान में नया भूमिगत पानी का टैंक बनवाया था और तब से मेरे जीवन में आर्थिक उन्नति हुई है। कृपया मेरी समस्याओं के कारण और निवारण बताये।

उत्तर: आपके प्रशन: से असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। आपको ज्योतिष व हस्त-रेखा का ज्ञान है, लेकिन गौर करने लायक बात यह है कि इन विषयों के ज्ञाता होने के बावजूद भी क्या आपको आज तक स्वयं की समस्याओं का समाधान मिला है? कारण स्पष्ट है कि ज्योतिष व हस्त-रेखा का ज्ञान फलसूचक हो सकता है, लेकिन फलदायक नहीं, और ना ही मानव जीवन में घटने वाले घटनाक्रम को परिवर्तित करने में सहायक।

आपकी यह बात भी भ्रमित ही लगती है कि आपको वाक-शुद्धि है और आपके श्रीमुख से निकाली हुई हर बात फलित होती है। इसे न्याय संगत कैसे कहा जा सकता है? अगर वास्तव में ऐसा संभव हो सकता हो तो फिर आपकी वाक-शुद्धि आप स्वयं पर ही क्यों नहीं फलीभूत हो रही है? क्योंकि प्रत्येक व्यकति की सोच स्वयं के बारे में सकारात्मक ही रहती है। इस तरह की निरर्थक बातों से भ्रामक स्थिति पैदा करने से समाज में अंधविश्वास की प्रवृत्ति बढ़ती है।

ज्योतिष, हस्त-रेखा, वास्तु इत्यादि विषयों पर यथार्थ रूप से चिंतन करे कि कौन से विषय की उपयोगिता और महत्व क्या है? और किस विषय से कैसे लाभान्वित हो सकते हैं? जहाँ तक मानव जीवन में पैदा होने वाली किसी भी समस्या से समाधान प्राप्त करने की बात आती है, तब ऐसी स्थिति में प्रत्यक्ष रूप से मुझे प्राप्त होने वाले अनुभव के आधार पर मैं यही कहना ज्यादा बेहतर समझता हूँ कि वास्तु विषय के अतिरिक्त अन्य किसी भी विषय या उपायो के द्वारा समस्या का स्थायी तौर पर समाधान प्राप्त होना नामुमकिन है। यह अनुभव आप स्वयं भी प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त कर चुके हैं कि जब से आपने इस मकान के ईशान कोने में स्थित भूमिगत पानी के टैंक को मिट्टी से भरकर बंद करके, उत्तर-ईशान में नया भूमिगत पानी का टैंक बनवाया है, तब से आपकी आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

वायव्य के कमरे में स्थित रसोई-घर के उत्तर में रखा गया गैस का चूल्हा, आग्नेय के कमरे में स्थित मुख्य शयन-कक्ष एवं इस शयन-कक्ष के उत्तर-ईशान में स्थित शौचालय, चारदीवारी तथा मकान के पश्चिम-नैत्र+त और हाल तथा वायव्य के कमरे के उत्तर-वायव्य एवं पूर्व-आग्नेय में स्थित दरवाजे इत्यादि, वास्तु-दोषों के दुष्परिणाम ही आपके जीवन को समस्याग्रस्त स्थिति में परिवर्तित करने में अहम भूमिका निभा रहे है। उपरोक्त वास्तु-दोषों के दुष्परिणामों से निवृत्ति प्राप्त करने के लिये अपेक्षित फेरबदल:-

  • वायव्य के कमरे में स्थित रसोई-घर को आग्नेय के कमरे में स्थानान्तरित करे तथा आग्नेय के कमरे के आग्नेय कोने में गैस का चूल्हा इस तरह से रखे कि खाना पकाते समय गृहणी का मुँह पूर्व दिशा की तरफ रहे।
  • आग्नेय के कमरे के उत्तर-ईशान में स्थित स्नानघर/शौचालय को तोड़कर हटाये।
  • चारदीवारी तथा मकान के पश्चिम-नैत्र+त और हाल तथा वायव्य के कमरे के उत्तर-वायव्य एवं पूर्व-आग्नेय में स्थित दरवाजों को, चारदीवारी के पश्चिम-वायव्य, हाल के पूर्व-ईशान एवं उत्तर-ईशान, वायव्य के कमरे के पूर्व-ईशान एवं पश्चिम-वायव्य तथा आग्नेय के कमरे के दक्षिण में इस तरह से स्थानान्तरित करे कि आमने-सामने दो से ज्यादा दरवाजे नहीं आये।
  • नैत्र+त के कमरे के दक्षिण-पश्चिम के हिस्से में फर्श की ऊँचाई बढ़ाकर नया स्नानघर/शौचालय बनाये।
  • नैत्र+त के कमरे को मुख्य शयन-कक्ष तथा वायव्य के कमरे को मेहमान कक्ष लिये उपयोग करे।
  • आपके मान-सम्मान, आर्थिक स्रोत तथा सकारात्मक सोच में वृद्धि करने के लिये ईशान में कर्ण रेखा को छोड़कर पूर्व-ईशान में एक नया भूमिगत पानी का टैंक बनाये।

आपकी समस्याओं से स्थायी रूप से समाधान तथा खुशहाल एवं समृद्धिदायक भविष्य की कल्पना को साकार रूप में परिवर्तित करने के लिये उपरोक्त वास्तु-परिवर्तन शत-प्रतिशत सक्षम होंगे।