प्रश>>: मेरे इस नव-निर्मित मकान में रहना शुरु करने के बाद आर्थिक कष्ट तथा हम पति-पत्नी के आपसी रिश्तो में दरार पड़ गयी हैं। मुझ पर आरोप लगाकर नौकरी से निलमबित कर दिया हैं तथा मुझ पर लगाये गये आरोप का कोर्ट मे मुकदमा चल रहा हैं। कृपया मेरा मार्गदर्शन करे।
उत्तर:अगर आपने मकान का निर्माण वास्तु के सिद्धान्तों का परिपालन करते हुए किया होता तो, ना तो आप पति-पत्नी के आपसी संबंधों में दरार पड़ती और ना ही आपकी नौकरी खतरे में पड़ती। मकान का निर्माण वास्तु के सिद्धान्तों के विपरित करके आपने स्वयं के पांव पर कुल्हाडी मार दी हैं और समस्याओं के भंवर में उलझकर रह गये हैं। आपकी समस्याओं के होने वाले कारण, इस मकान में व्याप्त वास्तु दोष :-
खुले स्थान के ईशान कोने में स्थित शौचालय एवं सेप्टिक टैंक तथा उत्तर-ईशान में स्थित स्नानघर।
वायव्य कोने में स्थित भूमिगत पानी का टैंक।
वायव्य के कमरे में स्थित रसोई-घर के ईशान कोने में रखा गया गैस का चुल्हा।
वायव्य के कमरे के उत्तर-वायव्य तथा आग्नेय के कमरे के पूर्व-आग्नेय एवं उत्तर-वायव्य में स्थित दरवाजे।
आपके समस्याग्रस्त जीवन को व्यवस्थित स्थिति में परिवर्तित करने के लिए अपेक्षित फेरबदल :-
खुले स्थान के ईशान कोने में स्थित शौचालय एवं उत्तर-ईशान में स्थित स्नानघर को तोड़कर हटाये तथा ईशान कोने में स्थित सेप्टिक टैंक को साफ करवाकर मिट्टी से भरकर बंद करें।
वायव्य कोने में स्थित भूमिगत पानी के टैंक को मिट्टी से भरकर बंद करें।
ईशान में कर्ण रेखा को छोडकर, चारदीवारी तथा कर्ण-रेखा के नजदीक, उत्तर-ईशान एवं पूर्व-ईशान में एक-एक नये भूमिगत पानी के टैंक बनायें।
वायव्य कोने से थोड़ी जगह छोड़कर, उत्तर-वायव्य में नया सेप्टिक टैंक बनायें तथा पश्चिम-वायव्य में मकान एवं चारदीवारी की उत्तर की दीवारों से थोड़ी जगह छोड़कर नया स्नानघर एवं शौचालय का निर्माण इस तरह से करे कि यह नव-निर्मित सेप्टिक टैंक, स्नानघर एवं शौचालय, वायव्य के कमरे के उत्तर-वायव्य के हिस्से तक ही आये।
वायव्य के कमरे के उत्तर-वायव्य तथा आग्नेय के कमरे के पूर्व-आग्नेय एवं उत्तर-वायव्य में स्थित दरवाजो को, वायव्य के कमरे के पश्चिम-वायव्य तथा आग्नेय के कमरे के उत्तर एवं दक्षिण में आमने-सामने स्थानांतरित करें। तथा बैठक के कमरे के उत्तर-ईशान में एक नया दरवाजा लगाये।
वायव्य के कमरे के ईशान कोने में रखे गये गैस के चूल्हें को चबुतरे सहित हटाकर, आग्नेय के कमरे के आग्नेय कोने में इस तरह से स्थानांतरित करे कि खाना पकाते समय गृहिणी का मुंह पूर्व दिशा की तरफ रहें।
नैऋत के कमरे को मुख्य शयन कक्ष तथा वायव्य के कमरे को बच्चो का शयन कक्ष बनाये।
भविष्य में समस्याएं और ज्यादा उग्र रुप धारण करे, उससे पहले ही उसके समाधान का रास्ता अपनाना ही बुद्धिमानी होगी। उपरोक्त फेरबदल करवाने के बाद सु:खद नतीजा आपके सामने होगा, और आप इस अंधकारमय जीवन से उजाले की तरफ अग्रसर होंगे।