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दक्षिण-मुखी मकान भी शुभ फलदायक

प्रश>>: जहां तक मुझे जानकारी है, मेरा मकान वास्तु के अनुसार बना हुआ है, क्योंकि इस मकान में प्रवेश करने के बाद हमने आर्थिक उन्नति प्राप्त की है। मेरी समस्या यह है कि हम पति-पत्नी के आपसे में अनबन रहती है तथा दूसरों को उधार दिये गये रुपये वापस प्राप्त करने में मुश्किले आ रही है। मैने सुना है कि दक्षिण-मुखी मकान अशुभ फलदायक होता है। क्या यह सही है? कृपया मेरी समस्याओं के निवारण हेतु मार्गदर्शन करें।

उत्तर: सिर्फ आपके ही नहीं, बल्कि जनसाधारण के मन में भी यह भ्रांति फैल गयी है कि दक्षिण-मुखी मकान अशुभ फलदायक होता है, जबकि यह विचारधारा सरासर गलत है। आपकी यह जानकारी भी गलत है कि इस मकान के निर्माण में वास्तु के सिद्धान्तों का पूर्ण रूप से पालन किया गया है। मेरा प्रत्यक्ष अनुभव और दावा है कि अगर दिशाओं का सही निर्धारण करके, वास्तु के सिद्धान्तों का पूर्ण रूप से परिपालन करते हुए मकान का निर्माण किया जाए तो समस्याएं पैदा होने की संभावना शुन्य हो जाती है। पूर्व-ईशान में स्थित भूमिगत पानी का टैंक तथा उत्तर-ईशान में स्थित बोरवेल ही आपकी आर्थिक उन्नति को सुदृढ बना रहे हें। आपकी समस्याओं के होने वाले कारण, इस मकान में व्याप्त वास्तु दोष और अपेक्षित समाधान :-

  • उत्तर में स्थित सेप्टिक टेंक।
  • मकान में अग्नि-तत्व की न्यूनता।
  • आग्नेय के कमरे में स्थित मुख्य-शयन कक्ष।
  • चारदीवारी के दक्षिण, नैऋत के कमरे एवं हाल के पूर्व-आग्नेय तथा आग्नेय के कमरे के उत्तर-वायव्य में स्थित दरवाजे।

पूर्व दिशा में उदयमान सूर्य, सौर-मंडल की ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है। यही कारण है कि धार्मिक शास्त्रों में पूर्व दिशा को एक महत्वपूर्ण दिशा का दर्जा दिया गया है। वास्तु विषय में पूर्व दिशा के साथ, उत्तर दिशा का भी उतना ही महत्व है। केवल सुबह के समय प्राप्त होने वाली सूर्य-रश्मियां ही अधिक प्रभावशाली तथा सकारात्मक ऊर्जा दायक होती है। लेकिन उत्तर दिशा से निरंतर चुम्बकीय किरणें प्रवाहित होती है, जो जीवन को संतुलित रखने के लिए उतनी ही आवश्यक होती है, जितनी कि सूर्य-रश्मियां।

वास्तु की पुस्तकों में उत्तर दिशा में सेप्टिक टैंक बनाने के लिए निर्देश दिये गये हैं, लेकिन मेरी राय में उत्तर की अपेक्षा वायव्य में सेप्टिक टैंक बनाना ही उत्तम है। आपकी समस्याओं की उग्रता को देखते हुए इस मकान की उत्तर दिशा 15-20 डिग्री या इससे ज्यादा झुकी हुई (माइनस) प्रतीत हो रही है। जिसके कारण उत्तर दिशा में बनाया गया सेप्टिक टैंक उत्तर-ईशान में तथा वायव्य में स्थित रसोई-घर की स्थिति उत्तर में आ गयी है, जो कि वास्तु के सिद्धान्तों के सर्वथा विपरीत है, जिससे धन-हानि व गृह-कलह की स्थिति पैदा हो रही है। उत्तर में स्थित सेप्टिक टैंक को साफ करवाकर मिट्टी से भरकर बंद करके, वायव्य कोने से थोड़ी जगह छोड़कर, उत्तर-वायव्य में नया सेप्टिक टैंक बनाकर ही इस वास्तु-दोष से निवृति पाना संभव है।

आग्नेय के कमरे में शयन-कक्ष होने के कारण, पुरुष वर्ग के स्वास्थ्य व समृद्धि में प्रतिकुलता पैदा होती है तथा पति-पत्नी के आपस में वैचारिक मतभेद रहते हैं। खुशहाल वैवाहिक जीवन निर्वाह करने के लिए नैऋत के कमरे को मुख्य शयन-कक्ष बनायें।

वास्तु विषय के अग्नि-तत्व से लाभान्वित होने के लिए वायव्य के कमरे में स्थित रसोई-घर को, आग्नेय के कमरे में स्थानांतरित करना ही एकमात्र उत्तम विकल्प हैं।

नैऋत के कमरे के पूर्व-आग्नेय में दरवाजा होने के कारण धन-हानि और वैचारिक मतभेद रहते हैं। नैऋत के कमरे एवं हाल के पूर्व-आग्नेय, आग्नेय के कमरे के उत्तर-वायव्य तथा चारदीवारी के दक्षिण में स्थित दरवाजो को, आग्नेय के कमरे के उत्तर एवं दक्षिण, हाल के पूर्व-ईशान तथा चारदीवारी के दक्षिण-आग्नेय में स्थानांतरित करें।

प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है। उपरोक्त फेरबदल करवाने के बाद आपको यह अहसास हो जाएगा कि दक्षिण-मुखी मकान भी, अन्य दिशाओं के मकान के अनुरूप ही शुभ परिणाम दायक व सौभाग्यशाली होता है।