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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

सभी दिशाओं का आधार है उत्तर दिशा की डिग्री

जिज्ञासा: मैं पश्चिम-मुखी मकान में रहता हूँ। मेरे मकान के पूर्व तथा उत्तर में स्थित दोनों प्लॉट बीक रहे है। मैं गाड़ी रखने के लिये पार्किंग तथा बगीचा बनाने के लिये, इन दोनों में से एक प्लॉट खरीदना चाहता हूँ। कृपया बताइये कि इन दोनों में से कोन-सा एक प्लॉट खरीदना ज्यादा अच्छा होगा?

समाधान :अगर आपके मकान की उत्तर दिशा जीरो डिग्री या 5-10 डिग्री ज्यादा (प्लस) या झुकी हुई (माइनस) है, तो आप आपकी इच्छानुसार इन दोनों में से कोई भी एक प्लॉट खरीद सकते है।

लेकिन - अगर आपके मकान की उत्तर दिशा 10-15 डिग्री या इससे ज्यादा है तो पूर्व में स्थित प्लॉट, तथा 10-15 डिग्री या इससे ज्यादा झुकी हुई है तो उत्तर में स्थित प्लाट खरीदना आपके लिये शुभ फलदायक होगा।

क्योंकि - मकान की उत्तर दिशा 10-15 डिग्री या इससे ज्यादा होने की स्थिती में उत्तर में स्थित प्लाट उत्तर-वायव्य दिशा में तथा उत्तर दिशा 10-15 डिग्री या इससे ज्यादा झुकी हुई होने की स्थिति में पूर्व में स्थित प्लाट पूर्व-आग्नेय दिशा में परिवर्तित हो जाएगा।

आवश्यक है वास्तु, ना कि राशि

जिज्ञासा: मैंने एक पुस्तक में पढ़ा है कि प्रत्येक इंसान को उसकी राशि से संबंधित दिशा के मकान में रहना चाहिए। अगर यह सही है तो कृपया बताइये कि कोनसी राशि के इंसान को कोनसी दिशा के मकान में रहना चाहिए। किराये के मकान में भी वास्तु पर ध्यान देना चाहिए या नहीं?

समाधान :पुस्तकों में लिखा गया यह सिद्धांत कि प्रत्येक इंसान को उसकी राशि से संबंधित दिशा के मकान में रहना चाहिए, ना तो व्यहवारिक रूप से संभव है और ना हि इस सिद्धांत का वास्तविकता से कोई संबंध है।

मकान किराये का हो या स्वयं का, इससे मकान की वास्तु के आधार पर प्रभावित करने वाले परिणाम परिवर्तित नहीं होते है। सच्चाई यह है कि इंसान जीस मकान में रहता है, उस मकान की वास्तु के आधार पर उसके जीवन के घटनाक्रम निर्धारित होकर प्रभावित भी करते है।

खुशहाल व समृद्धिदायक जीवन व्यतित करने के लिये आप किसी भी दिशा का मकान खरीद कर या किराये पर लेकर उसमें रह सकते है, लेकिन शर्त सिर्फ यही है कि वह मकान वास्तु के अनुसार बना हुआ हो।

दक्षिण-पश्चिम में सीढ़ियों का निर्माण सर्वश्रेष्ठ

जिज्ञासा: मैं एक नये मकान का निर्माण शुरू करवा रहा हूँ, जिसके दक्षिण-पश्चिम कोने में सीढ़ियाँ बनवाना चाहता हूँ। क्या यह सही है?

समाधान :मकान के दक्षिण से पश्चिम तक के हिस्से में सीढ़ियों का निर्माण करवा सकते है, लेकिन सीढ़ियों का निर्माण करवाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह नव-निर्मित सीढ़ियाँ किसी कमरे के भी पूर्व-ईशान-उत्तर दिशा तक के हिस्से में नहीं आये।

मकान के दक्षिण-पश्चिम कोने में सीढ़ियाँ बनाना सर्वश्रेष्ठ होता है, क्योंकि दक्षिण-पश्चिम कोने में सीढ़ियों का निर्माण करवाने से मकान की नैऋत दिशा वजनदार होती है, जो कि स्थायित्व प्रदान करती है।

उत्तर-वायव्य में लिप्ट - दुष्परिणामदायक

जिज्ञासा: मैंने भवन की तीसरी मंजिल पर स्थित एक प्लैट खरीदा है। इस प्लैट के उत्तर-वायव्य में लिप्ट लगी हुई है। क्या यह गलत है? अगर है, तो इसके दुष्परिणामों से बचने के लिये उपाय बताये।

समाधान :प्लैट के उत्तर-वायव्य में लिप्ट लगी हुई होने के कारण, इस प्लैट में रहना शुरु करने के बाद आपको उत्तर-वायव्य में भूमिगत टैंक होने के समरूप ही दुष्परिणामों का सामना करना पड़ेगा। भवन का निर्माण पूरा हो जाने के कारण इस वास्तु दोष के दुष्परिणामों से शत-प्रतिशत निवारण प्राप्त करना संभव नहीं है।

प्लैट के उत्तर-वायव्य के हिस्से में, लिप्ट की दीवार से थोड़ी खाली जगह छोड़कर, लिप्ट की दिवार तक, उत्तर-वायव्य के कमरे के उत्तर में, इस कमरे के ईशान कोने को बढ़ाते हुए एक अतिरिक्त नयी तीरछी दीवार बनाकर, आप इस वास्तु दोष के दुष्परिणामों से न्युनता प्राप्त कर सकते है।