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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

पिरामिड

इंसान अपने बुद्धिबल से नित्य नये अविष्कार व खोज में लगा रहता है। आधुनिक युग में पिरामिड पर भी काफी अनुसंधान किये गये हैं, एवं इसका प्रचार भी बढ़ रहा है। वास्तु विषय के दृष्टिकोण से पिरामिड का संबंध आकाश-तत्व से है।

पिरामिड की चोटी पर ऊर्जा एकत्रित होकर, पिरामिड की सभी दिवारों का एक ही आकार व एक ही ढलान रहने की वजह से, पिरामिड के अंदर विशेष ऊर्जा तरंगें कार्य करती है, जो जड और चेतन दोनों पर अपना प्रभाव डालती है। पिरामिड ब्रह्माण्ड की ऊर्जा को अपने अंदर खींच लेता है और यह ऊर्जा अपने आस-पास के वातावरण में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को समाप्त करके सकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को बढाती है। जिसका फायदा उस वातावरण में रहने वाले को प्रत्यक्ष रूप से मिलता है।

धार्मिक स्थलों पर बनाये गये बडे-बडे गुम्बज पिरामिड की उपयोगिता को ही साबित करते हैं, जिसके कारण वहां के वातावरण में उच्चारण होने वाले मंत्र एवं पिरामिड की ऊर्जा के प्रभाव के कारण ही, वह स्थल कुछ देर तक वहां बैठने पर हमें मानसिक शांति प्रदान करता है। आवास स्थल पर बडे पिरामिड बनाना संभव नहीं है। इसके लिए छोटे आकार के पिरामिड से थोडा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

लकडी के पिरामिड प्रभावहीन होते हैं, क्योंकि पिरामिड ऊर्जा का संचालन करता है और लकड़ी के पिरामिड की नोक से आकाशीय ऊर्जा पिरामिड के भीतरी भाग में प्रवेश नहीं कर पाती, जबकि धातु आकाशीय ऊर्जा का संचालक होता है। कागज व प्लास्टिक के पिरामिड भी सिर्फ दिखावटी वस्तुं ही है, क्योंकि कागज व प्लास्टिक में ऊर्जा का संचालन नहीं होता है।

पिरामिड अंदर से खोखला होगा, तभी वह लाभदायक साबित हो सकता है, अन्यथा ठोस पिरामिड से उतना फायदा नहीं मिल पाता है, क्योंकि ठोस पिरामिड ऊर्जा को अपने अंदर एकत्रित नहीं कर सकता है।

बडे पिरामिड के नीचे नित्य कुछ देर बैठने से मन में एकाग्रता की अनुभूति होती है, थकान दूर हो जाती है और बीमारी में आराम मिलता है। पिरामिड में रखी गई वस्तुं जल्दी खराब नहीं होती है, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण मिश्र के पिरामिडों में रखे गये मुर्दा शरीर से मिलता है।

पिरामिड का उपयोग करके लाभान्वित होने के लिए पिरामिड के उचित आकार के साथ, सही दिशा का निर्धारण करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। पिरामिड अपने सही कोण के आधार पर अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा का समायोजन करता है, जिसका प्रत्यक्ष रूप से उस पिरामिड के उपयोगकर्ता को फायदा मिलता है। उचित आकार तथा सही तरीके से बनाया गया पिरामिड उस वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचालन बढ़ाता है जिससे नकारात्मक ऊर्जा निष्क्रिय हो जाती है।

पिरामिड की विद्युत चुम्बकीय शक्ति व प्राकृतिक ऊर्जाओं को मनुष्य देख नहीं सकता। मंत्रों के उच्चारण का रहस्य, विज्ञान की आधारता के लिए अनुसंधान का विषय हो सकता ह,w लेकिन इसे प्रतिपल अनुभव किया जा सकता है।

आजकल वास्तु दोषों के दुष्परिणामों से निवृति प्राप्त करने के नाम पर पिरामिड के उपयोग का प्रचलन बहुत बढ़ रहा है, जो कि समस्याग्रस्त इंसान को सिर्फ भ्रमित करता है। “वास्तु और पिरामिड“ - दोनो अलग-अलग विषय है और दोनों विषयों की अलग-अलग उपयोगिता और महत्व है। वास्तु शास्त्र के आधारित किसी भी ग्रंथ में वास्तु दोषों से निवारण प्राप्त करने के लिए पिरामिड के उपयोग का उल्लेख नहीं किया गया है। पिरामिड का उपयोग करके सुख-समृद्धि प्राप्त करने की बातें फैलाना, आजकल के वास्तु विषय के प्रति नादान वास्तु-पंडितों के दिमाग की उपज है, क्योंकि इससे वास्तु दोषों से निवृति प्राप्त करना नामुमकिन है।