The Solution for any problem through Vaastu.

T.R. Bhandari's

Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

वास्तु विषय की सार्थकता

जब से यह सृष्टि बनी है, तब से सुख-दुख भी मानव जीवन के साथ लगा हुआ है। सुख की हर कोई आशा करता है, लेकिन दुख से हर कोई पीछा छुड़ाना चाहता है, क्योंकि दुख कष्ट-क्लेष-बीमारी-समस्याओं इत्यादि का दूसरा नाम है। न चाहते हुए भी हर इंसान के जीवन में कठिनाइयों के दौर आते रहते हैं। मैंने जब इसका विश्लेषण किया, तो पाया कि वास्तु के बदलते ही जीवनशैली में भी परिवर्तन आ जाता है। इंसान का जीवन अनेक शक्तियों से प्रभावित होता है। इसमें वास्तु एक महत्वपूर्ण शक्ति है। वास्तु विषय पंच-तत्वों पर आधारित है। यह पंच तत्व, जल-अग्नि-वायु-पृथ्वी-आकाश है। अगर हर तत्व अपनी सही जगह पर हो जाये तो मानव जीवन की परेशानियों का दौर स्वत ही समाप्त हो जाता है।

वास्तु विषय का परम उद्देश्य खुशहाल एवं समृद्धिदायक मकान का निर्माण करना है। वास्तु विषय में भू-गर्भीय ऊर्जा, चुंबकीय शक्ति, गुरुत्वाकर्षण बल, सौरमंडल की ऊर्जा, सूर्य रश्मियां, प्राकृतिक ऊर्जा इत्यादि, का मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करके विभिन्न सिद्धांतों को प्रतिपादित किया गया है। वास्तु विज्ञान किसी भवन को निर्माण करने का एक सशक्त वैज्ञानिक दृष्टिकोण है।

यह समस्त विश्व वास्तु के पंच-तत्वों से निर्मित है। वास्तु विषय के आधार पर यह पंच-तत्व, जल-अग्नि-वायु-पृथ्वी-आकाश, मानव जीवनशैली को प्रभावित करते हैं। अन्य ग्रहों की अपेक्षा पृथ्वी पर इन पंच-तत्वों का प्रभाव अधिक दृष्टिगोचर होता है। यह तत्व प्रकृति में संतुलन बनाये रखते हैं। भवन निर्माण के लिये भूमि के आकार के साथ, दिशाओं के अनुसार, वास्तु के पंच-तत्वों का उचित तालमेल अति-आवश्यक होता है। हमारे आस-पास के वातावरण में व्याप्त ऊर्जा शक्तियों में कई तरह की अनिष्ट ऊर्जा शक्तियां भी विद्यमान रहती हैं। इन अनिष्ट ऊर्जा शक्तियों से बचने के लिये वास्तु विषय के पंच-तत्वों के उचित संतुलन की आवश्यकता पूर्ति के लिये, वास्तु विषय पंच-तत्वों के आधार पर दिशाओं के अनुसार सही निर्देश देता है।

भारत में प्राचीन काल से ही वास्तु विषय को पर्याप्त मान्यता दी जाती रही है। अनेक प्राचीन इमारतें वास्तु के अनुरूप निर्मित होने के कारण ही आज तक अस्तित्व में है। वास्तु के सिद्धांत पूर्ण रूप से वैज्ञानिक आधार पर आधारित है, क्योंकि इस विषय में हमें प्राप्त होने वाली सकारात्मक ऊर्जा शक्तियों का समायोजन पूर्ण रूप से वैज्ञानिक तरीके से पेश किया गया है।

वास्तु के सिद्धांतों का परिपालन करके बनाये गये मकान में रहने वाले प्राणी सुख, शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि इत्यादि प्राप्त करते हैं। जबकि वास्तु के सिद्धांतों के विपरीत बनाये गये मकान में रहने वाले देर-सवेर इन्हीं बातों के प्रति प्रतिकूलता का अनुभव करते हैं एवं कष्टप्रद जीवन व्यतीत करते हैं।

कई सज्जनों के मन में यह शंका होती है कि वास्तु विषय का अधिकतम उपयोग आर्थिक दृष्टि से संपन्न वर्ग ही करते हैं, मध्यम वर्ग के लिये इस विषय का उपयोग कम होता है। निस्संदेह यह धारणा गलत है। वास्तु विषय किसी वर्ग या जाति विशेष के लिये ही नहीं है, बल्कि वास्तु विज्ञान संपूर्ण मानव जाति के लिये प्रकृति की ऊर्जा शक्तियों को उपयोग करने का एक अनुपम वरदान है।

जिस प्रकार सूर्य की किरणें अमीर-गरीब एवं किसी जाति विशेष का भेदभाव किये बिना सभी को समान रूप से प्रभावित करती है, उसी प्रकार वास्तु के पंच-तत्वों का उचित संतुलन सभी को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से प्रभावित करता हैं। यह व्यक्ति की स्वयं की इच्छा शक्ति की योग्यता पर निर्भर करता है कि वास्तु विज्ञान के इस अनमोल खजाने से वह कितना ज्ञान ग्रहण करके इसके उपयोग से लाभान्वित हो सकता है।

अनुभवहीन और नौसीखीये वास्तु विशेषज्ञों की अज्ञानता के कारण ही आम इंसान वास्तु विषय के प्रति भ्रमित रहता है। जिसके कारण वास्तु विषय की महत्वता कम होती है और जन साधारण का इस विषय के प्रति दृष्टिकोण नकारात्मक हो जाता है। ऐसे अज्ञानियों के चक्कर में पड़कर अपना अमूल्य समय और धन बर्बाद न करें, क्योंकि एक कुशल एवं अनुभवी वास्तु विशेषज्ञ की फीस की तुलना में उसकी सही सलाह से मिलने वाले फायदे बहुत ज्यादा होते हैं।

प्रकृति की ऊर्जा शक्तियों के संतुलित उपयोग से जीवन को खुशहाल और समृद्धिदायक कैसे बनायें? इसका व्यवस्थित अध्ययन और व्यावहारिक उपयोग करना ही वास्तु विज्ञान है।